Sunday, July 15, 2018

HASHR



HASHR

गर  तू  मुझसे  जुदा  नहीं  होता 
हश्र    मेरा     बुरा    नहीं   होता 

कैसे कह दूँ  वो पल मुकम्मल है 
ज़िक्र  जिसमे  तेरा  नहीं   होता 

खुदसे अपनी  ही  बात करते हैं  
जब   कोई   दूसरा  नहीं   होता 

पूछ मत  इश्क़ में  क्या होता है 
पूछ ये   इसमें  क्या  नहीं  होता 

दोस्त  यारों  की  बात  करते हो 
अपना  साया  सगा  नहीं  होता 

सारी दुनिया से शिकायत थी कभी 
अब  किसी से गिला  नहीं होता 

फलसफा ज़िन्दगी का ये  है कि 
इसका कुछ फलसफा नहीं होता 

Sunil_Telang/15/07/2018






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