HASHR
गर तू मुझसे जुदा नहीं होता
हश्र मेरा बुरा नहीं होता
कैसे कह दूँ वो पल मुकम्मल है
ज़िक्र जिसमे तेरा नहीं होता
खुदसे अपनी ही बात करते हैं
जब कोई दूसरा नहीं होता
पूछ मत इश्क़ में क्या होता है
पूछ ये इसमें क्या नहीं होता
दोस्त यारों की बात करते हो
अपना साया सगा नहीं होता
सारी दुनिया से शिकायत थी कभी
अब किसी से गिला नहीं होता
फलसफा ज़िन्दगी का ये है कि
इसका कुछ फलसफा नहीं होता
Sunil_Telang/15/07/2018
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