Sunday, June 17, 2018

WO PITAA HAI



वो पिता है 

वो पिता है, जन्मदाता है तेरा 
मरते दम तक उससे नाता है तेरा 
जिसके दम से आज तू काबिल हुआ 
क्या नमन करने में जाता है तेरा 

तुझको पाला भूल कर अपनी ख़ुशी
दी दुआयें खुशनुमा हो ज़िन्दगी 
तेरे सर पर  उसका  साया हर घड़ी 
रहनुमा है वो विधाता है तेरा 

वो समझता है तेरे हालात को 
पर तरसता एक  मुलाक़ात को 
ज़ब्त करता दिल के हर जज़्बात को
पर ना चेहरा भूल पाता है तेरा 

तू भी उसका मान कर सम्मान कर 
अपनी हस्ती पर न यूँ अभिमान कर 
जो भी बोयेगा वही काटेगा तू 
रब के खाते में लिखा खाता तेरा 

Sunil_Telang/17/06/2018


Saturday, June 16, 2018

SOCH



SOCH

ना    मैं    हिन्दू    हूँ,    ना   मुसलमान   हूँ 
सबसे    पहले    सिर्फ    इक    इंसान   हूँ 

ईद  का   दिन   हो  या  दीवाली  की  रात 

हर  किसी   के   घर  का  मैं   मेहमान   हूँ 

नफरतों     के     बीज    मैं     बोता    नहीं 

छल    फरेब   औ   झूठ  से   अनजान   हूँ 

जब    लहू    का   रंग   सबका    एक    है 

तुझमें    मुझमें     फर्क    क्यो,   हैरान   हूँ

सोच      बदलेगी      तो     बदलेगा   जहां 
कौन   हूँ    मैं,   मैं     ही    हिन्दुस्तान    हूँ 


Sunil _Telang /16/06/2018







Thursday, June 14, 2018

WAQT



WAQT

हुक्मरानों  पर  असर   होता  नहीं   है 
आम  जनता  से  सबर  होता  नहीं  है 

भूख,   मंहगाई,  ग़रीबी   भी   हैं   मुद्दे 

जाने क्यों  इनका ज़िकर होता नहीं है 

बुद्धिजीवी   अनपढ़ों   को   कोसते  हैं 

काम  उनसे  भी  मगर  होता  नहीं  है 

रोये दिल अंदर से, फिर भी मुस्कुरायें 
हर  किसी  में  ये   हुनर  होता  नहीं है 

आसमां  में  उड़ने  वालो  याद  रखना 
वक़्त  अपना  उम्र  भर  होता  नहीं  है 

Sunil _Telang/14/06/2018





Monday, June 11, 2018

SHAAYARI



SHAAYARI

ग़मों को भूल जाऊं बस मुझे इतनी ख़ुशी दे दो 
छुपा   लूँ   दर्द  सीने  में  मुझे  ऐसी  हॅंसी  दे दो 

जिये अपने लिये ताउम्र  ऐसी  ज़िन्दगी का क्या 
ज़माना  याद  रखे  मुझको  ऐसी ज़िन्दगी दे दो 

हज़ारों लोग मिलते  हैं  यहां  मतलबपरस्ती  से 
जो  समझे  दूसरों  का दर्द  ऐसी  दोस्ती  दे  दो 

मिलेगा क्या जवानी को मोहब्बत में मिटाने से 
लुटा  दे  जां वतन  के  वास्ते वो आशिकी दे दो  

ये झूठी जात मज़हब की लड़ाई, रोज़ की बातें  
मिलाये दिल से दिल इंसान के वो शायरी दे दो 

Sunil_Telang/11/06/2018




Friday, June 8, 2018

SIKANDAR



SIKANDAR

रौशनी  में  छुप   गया   शायद  अँधेरा 
हाल  अच्छा है,  नज़र  का  है  ये फेरा 

किसको फुर्सत  दूसरों का  दर्द समझे 

सिर्फ  मैं  ने  कर लिया दिल  में बसेरा

बढ़  रही  असमानता  की  रोज़  खाई 

जो  हमारा था,  हुआ   अब  तेरा  मेरा 

पेट  की खातिर  लुटा  दे जान अपनी 

पेट   की   खातिर  बने   इन्सां  लुटेरा 

वक़्त से बढ़  कर नहीं कोई  सिकन्दर 

रात     बीतेगी    कभी    होगा   सवेरा 

Sunil_Telang/06/06/2018