HAUSLA
हौसला लड़ने का खो बैठे हैं हम
इसलिये चारों तरफ मिलते हैं ग़म
हो रहा अच्छा बुरा होने भी दो
खुद पे गुज़रेगी तभी जागेंगे हम
रास्ता कैसे तुझे दिखलायेंगे
साथ चलते भी नहीं जो दो कदम
मुश्किलों में साथ ना देगा कोई
दूर कर ले आज ये अपना भरम
ज़िन्दगी तो नाम है संघर्ष का
कर दे नामंज़ूर दुनिया के अलम
(अलम- Grief )
Sunil _Telang /30/06/2015
SABOOR
दिन ढलेगा, रात होगी, सुबह भी होगी ज़रूर
तू ना हिम्मत हारना चाहे तेरी मंज़िल है दूर
कौन है जिसका मुसीबत से हुआ ना सामना
रुक गये तेरे कदम तो होगा ये तेरा कुसूर
आग में तपकर ही बढ़ पाती है सोने की चमक
तेरी मेहनत और लगन लायेगी चारों ओर नूर
अपनी हस्ती से खफा होता है क्यों तू बारहा
तुझमें भी है कुछ अलहदा बात ये समझो हुजूर
ज़िन्दगी में जो भी पाया कर खुदा का शुक्रिया
चैन उसको ही मिला है जो जिया बन के सबूर
(बारहा -Often, अलहदा-Different, सबूर - Patient)
Sunil_Telang/28/06/2015
ऐतबार
ज़िक्र खुशियों का बार बार करें
कुछ ग़मों से भी मगर प्यार करें
जो मिला तुझ को तेरी किस्मत है
रश्क़ क्यों दूसरों से यार करें
वक़्त तो हर घडी मुनासिब है
लोग क्यों रोज़ इन्तज़ार करें
गर ज़माने को कुछ बदलना है
अपनी आदत में भी सुधार करें
मंज़िलें भी उन्हीं को मिलती हैं
जो सदा खुद पे ऐतबार करें
Sunil_Telang/19/06/2015
अपना पराया
किसे अपना कहें, किसको पराया
मुसीबत में, न कोई काम आया
मिले हम तो सभी से मुस्कुराकर
ज़माने ने हमें दुश्मन बनाया
मिला जो भी खुशी से भर ली झोली
कभी लब पर कोई शिकवा न आया
लिखा किस्मत में जो, हो कर रहेगा
ये कल की फ़िक्र में क्यों जी जलाया
हज़ारों इम्तेहां हैं ज़िन्दगी में
जिया वो, ग़म में भी जो मुस्कुराया
Sunil _Telang /13/06/2015