Tuesday, June 30, 2015

HAUSLA



HAUSLA

हौसला लड़ने  का खो  बैठे  हैं  हम 
इसलिये चारों तरफ मिलते हैं ग़म 

हो  रहा  अच्छा  बुरा  होने  भी  दो 

खुद  पे  गुज़रेगी  तभी जागेंगे हम 

रास्ता    कैसे    तुझे    दिखलायेंगे  

साथ चलते  भी  नहीं जो दो कदम 

मुश्किलों  में  साथ  ना  देगा  कोई 

दूर कर  ले  आज ये  अपना  भरम 

ज़िन्दगी  तो   नाम  है  संघर्ष  का

कर  दे  नामंज़ूर  दुनिया के अलम   
(अलम- Grief )

Sunil _Telang /30/06/2015


Sunday, June 28, 2015

SABOOR


SABOOR

दिन ढलेगा,  रात होगी,  सुबह भी  होगी ज़रूर 
तू ना हिम्मत हारना  चाहे तेरी  मंज़िल है  दूर 

कौन है  जिसका  मुसीबत से हुआ ना सामना 
रुक  गये  तेरे  कदम  तो  होगा ये  तेरा  कुसूर  

आग में तपकर ही बढ़ पाती है सोने की चमक  
तेरी मेहनत और लगन  लायेगी चारों ओर नूर

अपनी हस्ती से  खफा  होता है क्यों  तू  बारहा 
तुझमें भी है कुछ अलहदा बात ये समझो हुजूर 

ज़िन्दगी में जो भी पाया कर खुदा का शुक्रिया 
चैन उसको ही मिला है  जो जिया बन के सबूर 

(बारहा -Often, अलहदा-Different, सबूर - Patient)

Sunil_Telang/28/06/2015

Friday, June 19, 2015

AITBAAR



ऐतबार

ज़िक्र  खुशियों  का   बार बार  करें 
कुछ ग़मों से  भी  मगर प्यार करें 

जो मिला तुझ को तेरी किस्मत है
रश्क़   क्यों   दूसरों   से  यार  करें  

वक़्त  तो   हर  घडी  मुनासिब  है 
लोग   क्यों   रोज़   इन्तज़ार  करें

गर  ज़माने  को  कुछ   बदलना है 
अपनी  आदत  में  भी  सुधार करें 

मंज़िलें  भी  उन्हीं  को  मिलती हैं 
जो   सदा   खुद   पे   ऐतबार  करें 

Sunil_Telang/19/06/2015





Saturday, June 13, 2015

APNA PARAAYA


अपना पराया 

किसे   अपना  कहें, किसको पराया 
मुसीबत  में,  न  कोई   काम  आया 

मिले हम  तो  सभी  से  मुस्कुराकर 
ज़माने   ने    हमें   दुश्मन    बनाया 

मिला जो भी खुशी से भर ली झोली 
कभी लब पर कोई शिकवा न आया 

लिखा किस्मत में जो, हो कर रहेगा 
ये कल की फ़िक्र में क्यों जी जलाया 

हज़ारों   इम्तेहां    हैं   ज़िन्दगी  में 
जिया वो, ग़म में भी जो मुस्कुराया 

Sunil _Telang /13/06/2015