इतने बरस गुज़ारे खुद को संवारने में
अब दूसरों की खातिर कुछ काम कर के देखें
कितने गरीब बच्चे भूखे पड़े सड़क पर
हाथों में उनकी ऊँगली, हम थाम कर के देखें
मजबूरियों के मारे, लाचार कुछ बेचारे
दुःख दर्द उनके, अपने भी नाम कर के देखें
ढाया कहर प्रकृति ने, फिरते हैं रोज़ दर दर
हम बेबसी को इनकी, नीलाम कर के देखें
कहते हैं लोग ईश्वर , दुखियों की आह में है
घुलमिल के इनसे, जीवन की शाम कर के देखें
Sunil_Telang/02/09/2012

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