MASEEHA
लोग आते हैं चले जाते हैं
हम फकत हाथ मले जाते हैं
वो सितमगर है जियेगा बरसों
कम उमर में तो, भले जाते हैं
ग़मज़दा होके भी वो हँसता है
रश्क़ से लोग जले जाते हैं
ना हुये खुद के, ना ज़माने के
यूँ ही दिन रात ढले जाते हैं
आयेगा कोई मसीहा बनकर
लोग हर बार छले जाते हैं
Sunil_Telang / 11/08/2020
No comments:
Post a Comment