PAHRAA
हो गया है खून पानी
जोश
से
वंचित
जवानी
खो
गई
है
शादमानी (Happiness)
वक़्त कैसा आ गया है
लुट रही नारी की अस्मत
बढ़ गई
इन्सां की वहशत
इक अज़ब माहौल ए
दहशत
हर तरफ क्यों छा गया है
लग गये होठों पे ताले
हो गये गुम लिखने
वाले
जान के पड़ गये हैं लाले
दिल कोई दहला गया
है
आईने में देख चेहरा
आ
गया मौका सुनेहरा
तोड़
ज़ंजीरों का पहरा
जो
कोई पहना गया है
Sunil _Telang /09/08/2018
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