KHWAAB KI DUNIYA
ख्वाब की दुनिया में रहिये या हकीकत झेलिये
उम्र थोड़ी है किसी को आज़माने के लिये
आंकड़ों के खेल में वो छू रहे हैं आसमां
चाहे कितने लोग तरसें रोज़ खाने के लिये
उनकी नज़रों में ये जनता देश की खुशहाल है
आपकी बदकिस्मती है रोज़ पापड़ बेलिये
भूख से मुद्दा बड़ा है जात का और धर्म का
रोज़ी रोटी भूल जायें, ज्ञान इतना पेलिये
चाहे कितने हों सितम लेकिन जुबां खुलती नहीं
ज़ख्म खाने के हैं आदी और दिल से खेलिये
Sunil _Telang /15/08/2018
No comments:
Post a Comment