INSAANIYAT
साल दर साल कैलेंडर बदले
गाँव कूचे गली शहर बदले
हाल अपना है बदलता ही नहीं
ख्वाब दिखला के राहवर बदले
नाम इसका कहीं गरीबी है
कोई कहता है बदनसीबी है
मर्ज़ कैसा ये लाइलाज हुआ
रोज़ कितने ही चारागर बदले
ईद का वक़्त हो या दीवाली
कैसा त्यौहार पेट गर खाली
अपना तो जश्न जब मिले रोटी
ये हिकारत भरी नज़र बदले
है हमारा वजूद भी मानो
हमको बस वोट बैंक ना जानो
सिर्फ इन्सानियत का जज्बा हो
देश बदलेगा पहले घर बदले
Sunil_Telang/18/01/2016
बस मुझे इतना पता है
तुझसे मेरी हर ख़ुशी है बस मुझे इतना पता है
तू ही मेरी ज़िन्दगी है बस मुझे इतना पता है
इक तरफ सूरत ये तेरी इक तरफ ये कायनात (कायनात-World)
तुझसे बढ़के कुछ नहीं है बस मुझे इतना पता है
तेरी बाँहों में सिमट कर भूल बैठे ये जहां हम
मेरी जन्नत तो यहीं है बस मुझे इतना पता है
फासले कितने भी हों मेरे खयालों में है तू
दूर तू मुझसे नहीं है बस मुझे इतना पता है
कितने जलवे हर तरफ हैं पर मेरा मज़मून तू (मज़मून- Topic)
तू ही मेरी शायरी है बस मुझे इतना पता है
Sunil_Telang/14/01/2016
बचपन
गुज़रता है यूँ ही सड़कों पे सुबहो शाम ये बचपन
पढ़ाई की उमर में ढूंढता क्यों काम ये बचपन
न मंज़िल का पता है ना कोई घर बार है इनका
फकत रोटी की चिंता में हुआ गुमनाम ये बचपन
Sunil_Telang/10/01/2016