Tuesday, August 9, 2016

TUM HO IK AAM AADMI



TUM HO IK AAM AADMI 

समझते हैं तुम्हें नाकाम 
क्योंकि तुम  हो  इक  आम आदमी
रखो तुम काम से बस काम 
क्योंकि तुम  हो  इक  आम आदमी

मिला   जो    भी   ज्यादा  कम 
उसी   में   सब्र   कर  लेना
शिकायत  का न लेना नाम 
क्योंकि  तुम  हो  इक  आम आदमी

बिठाया है सर आँखों पर 
तुम्ही  ने  अंधभक्ति  में 
भटकते रहना सुबहो -शाम 
क्योंकि तुम हो इक आम आदमी

कभी हमला है जाति पर  
कभी  मज़हब  हुआ मुद्दा  
तेरे दुःख दर्द हैं गुमनाम 
क्योंकि तुम हो इक आम आदमी

कभी खुद से भी कर लो बात 
तेरी  किस्मत है तेरे हाथ 
बदल जायेगी कायनात 
क्योंकि तुम हो इक आम आदमी

Sunil_Telang/09/08/2016


  

Saturday, July 16, 2016

MILAN



MILAN

चले भी आओ बस इक बार कुछ शिकवे मिटा लूँ 
तुम्हें  रुखसत  से  पहले  अपने  सीने से लगा लूँ 
मुझे  मालूम  है तुम  मेरी  किस्मत  में  नहीं  हो 
मिलन के दो  पलों  को ज़िन्दगी  अपनी बना  लूँ 

Sunil_Telang/16/07/16

Wednesday, April 13, 2016

SIRHAANA



सिरहाना 

फुरसतों का वो ज़माना अच्छा था
दोस्तों  का आना जाना अच्छा था 

लोग  अपने  थे  पर मुसीबत में 

काम आया जो  बेगाना अच्छा था 

पक गये  कान  शोर सुन सुन कर 

गीत तो  वो  ही  पुराना अच्छा था   

बात  कोई  किसी  की सुनता नहीं 

दर्द  अपना भूल जाना  अच्छा था 

शानो शौकत तो  है मगर फिर भी 

गोद में माँ की सिरहाना अच्छा था 

Sunil_Telang/13/04/2016

Sunday, February 28, 2016

SABR


सब्र

अपनी किस्मत से गिला शिकवा न  करिये
भूल  कर  ग़म   को   ख़ुशी  के   रंग  भरिये  
हसरतें  तो  मरते  दम  तक  कम  ना होंगी 
जो   मिला   तुझ को   उसी  से  सब्र  करिये 

Sunil _Telang /26/02/2016

Monday, January 18, 2016

INSAANIYAT



INSAANIYAT

साल   दर  साल  कैलेंडर  बदले 
गाँव   कूचे   गली   शहर   बदले 
हाल  अपना  है बदलता ही नहीं 
ख्वाब  दिखला के राहवर बदले 

नाम   इसका   कहीं  गरीबी   है 
कोई   कहता  है   बदनसीबी  है 
मर्ज़   कैसा  ये  लाइलाज   हुआ 
रोज़  कितने  ही  चारागर  बदले

ईद   का  वक़्त  हो  या   दीवाली
कैसा  त्यौहार   पेट  गर   खाली  
अपना  तो  जश्न  जब  मिले रोटी
ये   हिकारत   भरी  नज़र  बदले 

है     हमारा     वजूद   भी  मानो  
हमको बस  वोट  बैंक ना जानो 
सिर्फ इन्सानियत का  जज्बा हो 
देश   बदलेगा  पहले  घर  बदले 

Sunil_Telang/18/01/2016











Thursday, January 14, 2016

BUS MUJHE ITNA PATA HAI



बस मुझे इतना पता है

तुझसे मेरी हर  ख़ुशी है  बस मुझे इतना पता है 
तू  ही  मेरी  ज़िन्दगी  है बस मुझे इतना पता है

इक तरफ सूरत ये  तेरी  इक तरफ ये कायनात  (कायनात-World)
तुझसे बढ़के कुछ नहीं है बस मुझे इतना पता है

तेरी  बाँहों  में  सिमट कर भूल बैठे  ये  जहां हम 

मेरी  जन्नत  तो यहीं है बस मुझे इतना पता है

फासले  कितने  भी  हों  मेरे  खयालों  में   है  तू 
दूर  तू  मुझसे नहीं  है  बस मुझे  इतना  पता है

कितने जलवे  हर  तरफ हैं  पर मेरा मज़मून तू  (मज़मून- Topic)
तू  ही  मेरी  शायरी  है बस  मुझे  इतना पता  है

Sunil_Telang/14/01/2016 




Sunday, January 10, 2016

BACHPAN


बचपन 

गुज़रता है यूँ ही सड़कों पे सुबहो शाम ये  बचपन 
पढ़ाई  की उमर  में  ढूंढता  क्यों  काम ये  बचपन   
न  मंज़िल  का पता है  ना कोई घर बार है इनका 
फकत रोटी की चिंता में हुआ गुमनाम ये बचपन

Sunil_Telang/10/01/2016