CHUP BHI KAR
लोग कहते हैं मुझ से चुप भी कर
शुक्र कर ले बचा है तेरा घर
उनकी किस्मत खराब थी शायद
जिनपे ढाया खुदा ने आज कहर
तेरी फ़रियाद कौन समझेगा
कुछ वज़न रख के देख कागज़ पर
ग़म हैं लाखों, खुशी नहीं मिलती
ज़िन्दगी मौत से हुई बदतर
बात उस से ज़मीं की मत करना
उसकी नज़रें हैं चाँद तारों पर
अब तो रब भी करम नहीं करता
आह में अब नहीं रहा वो असर
Sunil_Telang/31/05/2015
SAAHIR
लोग कुछ ऊपर उठे लेकिन नज़र से गिर गये
भूल कर वादे सभी वो भी जुबां से फिर गये
जिनको फुर्सत ही नहीं, देखें बुरा अच्छा है क्या
दिन ब दिन वो सर उठाती मुश्किलों में घिर गये
भाईचारा और मोहब्बत लोग वो सिखला गये
जो न मस्ज़िद देख पाये ना कभी मंदिर गये
नाम उनका भी किताबों से जुबां पर लाइये
अपनी आज़ादी की खातिर जो कटा के सिर गये
चाहिये लोगों को क्या, इतना समझ पाये नहीं
रास्ते से जाने कितने चारागर, साहिर गये
( चारागर- Doctor , साहिर- Magician, Enchanter)
Sunil_Telang/29/05/2015
ASAR
आँखों पर परदे पड़े हैं कुछ नज़र आता नहीं
है अभी भी बुतपरस्ती का असर,जाता नहीं
लोग चलते जा रहे हैं मंज़िलों की आस मैं
गाँव भी छूटा, मगर कोई शहर आता नहीं
हर गली चौराहों को करते रहे रोशन मगर
राह ये कैसी चुनी है अपना घर आता नहीं
ताज पाकर आसमां में रोज़ जो उड़ता रहा
एक दिन गिरना है तय ये कोई समझाता नहीं
कब तलक जीये हकीकत से कोई मुंह मोड़कर
हमको ग़म में मुस्कुराने का हुनर आता नहीं
Sunil_Telang/16/05/2015