pK
हर सुबह हर शाम PK
मय का बस इक जाम पीके
हर कोई दोहरा रहा है
लब पे तेरा नाम PK
ग़ुम हुये मुद्दे ज़रूरी
बढ़ रही आपस की दूरी
देख कर कड़वी हक़ीक़त
आज बदले सुर सभी के
चैन कुछ बांटा किसी को
चुभ गया कांटा किसी को
धर्म के सौदागरों के
पड़ गये हैं रंग फीके
ये मनोरंजन का जरिया
सब का है अपना नजरिया
आ गया नव वर्ष , कुछ
दीपक जलाओ रोशनी के
Sunil_Telang/31/12/2014
बुनियाद
बात मत करिये यहां, सच्चाई और ईमान की
झूठ की बुनियाद पर, हस्ती टिकी इंसान की
हो रहा है जो यहां, होने भी दो, किसको फ़िकर
जाहिलों के हाथ में किस्मत है हिन्दोस्तान की
क्यों जगाता है यहां मुर्दा-दिलों को नींद से
क्या नहीं तुझको रही, परवाह अपनी जान की
छोड़िये घर की फिकर, पहले अतिथि देवो भवः
आइये हंस कर करें, खिदमत ज़रा मेहमान की
काम का क्या,राज हमको पांच बरसों तक मिला
वक़्त है सुनिये अभी, कुछ और बातें ज्ञान की
Sunil_Telang / 27/12/2014
भीड़
ग़म तो सब के ही पास रहते हैं
लोग फिर क्यों उदास रहते हैं
यूँ तो दुनिया है भीड़ लोगों की
दिल में कुछ लोग ख़ास रहते हैं
Sunil_Telang /26/12/2014
YAKEEN
होते नहीं उदास अगर कुछ बुरा हुआ
है कौन वो इंसान जो ना ग़मज़दा हुआ
किस्मत में जो लिखा है वही हो के रहेगा
खुद से तू बेवज़ह खफा क्यों बारहा हुआ
किसको सुना रहा है तू दास्ताने-ग़म
मुश्किल में कब किसी का कोई दूसरा हुआ
खुशियाँ तुझे मिलेंगीं तू रोक ना कदम
रस्ते में रुक गया जो वो ग़ुम शुदा हुआ
बदलेगा तेरा वक़्त भी खुद पर यकीन रख
पत्थर भी एक रोज़ किसी का खुदा हुआ
(ग़मज़दा-Grieved , बारहा - Often )
Sunil _Telang/07/12/2014