रंगत
अभी रंगत नहीं उतरी , ज़माने से भी डरिये
तुम्हें तो नुक्स ही आते नज़र हर मामले में
मिलेगा सब्र का फल, कुछ दिनों धीरज तो धरिये
चलो माना, नहीं कायम हैं वो अपनी जुबां पर
मगर जनतंत्र का भी तो ज़रा सम्मान करिये
नहीं इतनी भी भोली अब रही जनता, समझिये
दिया मौक़ा परस्तों को सबक वोटों के ज़रिये
ग़लत है क्या , सही क्या है ,बहस का है ये मुद्दा
किसी को आइना दिखलायें, पहले खुद सुधरिये
Sunil_Telang/11/07/2014

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