Main koi kavi ya shaayar nahin hoon, Bus jo bhi apne aas paas dekhta hoon ya apne saath ghat raha hai, usko shabdon me dhaalne ki koshish karta hoon.
Saturday, January 18, 2020
Friday, January 10, 2020
KHWAAB
KHWAAB
रोज़ इक मुद्दे को लेकर हम बहस करते रहे
वो हमे उलझा के अपनी जेब को भरते रहे
अपनी अपनी सोच है, क्या है ग़लत और क्या सही
अपनी ज़िद में पीछे पीछे बस कदम धरते रहे
उसके घर को फूंकने से रौशनी होगी नहीं
भूल कर हम आपसी रंजिश में ही मरते रहे
हो न जायें बेवतन, मिट जाए ना अपना वज़ूद
बेवजह के खौफ से हम रात दिन डरते रहे
राह भटकाते रहे, हम जिनको समझे राहबर
ख्वाब भी पत्तों की तरह टूटते झरते रहे
Sunil_Telang/10/01/2020
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