Wednesday, December 26, 2018

FIKRMAND



FIKRMAND

लोग  कुछ  ऐसे  भी  जीते  हैं  यहां 
मुस्कुरा  कर  अश्क़  पीते  हैं  यहां 

क्यों हुये अपने पराये , अपना  ग़म 
भूल कर  दिन  रात  जीते  हैं  यहां 

जब तलक है इनके बाज़ुओं में दम 
हंस के अपने  ज़ख्म  सींते  हैं यहां 

कौन है जो इन  पे डाले इक  नज़र 
हर तरफ बस  लाल फीते  हैं  यहां 

फिक्रमंद  हैं  जो  गरीबों  के  लिये 
क्यों  खजाने  उनके  रीते  हैं  यहां 

Sunil_Telang/26/12/2018

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