Wednesday, December 26, 2018

FIKRMAND



FIKRMAND

लोग  कुछ  ऐसे  भी  जीते  हैं  यहां 
मुस्कुरा  कर  अश्क़  पीते  हैं  यहां 

क्यों हुये अपने पराये , अपना  ग़म 
भूल कर  दिन  रात  जीते  हैं  यहां 

जब तलक है इनके बाज़ुओं में दम 
हंस के अपने  ज़ख्म  सींते  हैं यहां 

कौन है जो इन  पे डाले इक  नज़र 
हर तरफ बस  लाल फीते  हैं  यहां 

फिक्रमंद  हैं  जो  गरीबों  के  लिये 
क्यों  खजाने  उनके  रीते  हैं  यहां 

Sunil_Telang/26/12/2018

BAANKPAN




BAANKPAN

किसलिए  इतना  गुमां  है अपने तन  पर 
चल फ़िदा हो जायें हम  अपने  वतन पर 

आये   खाली  हाथ   क्या  जायेंगे  ले  कर 
तू बचा  ले  जां  किसी  की  रक्त  दे  कर 
नाम   लिख  जाये  तेरा  धरती  गगन  पर

काम  आ   जाये   किसी   के  ये   जवानी 
बेवजह   बन   जाये  ना   ये    खून   पानी  
इक नया इतिहास लिख दें हम चमन पर

बंदगी   होगी,   किसी    के    काम  आयें  
काम   है   ये    नेक  तू   ले   ले    दुआयें 
होंगे   सब   कुर्बान    तेरे    बांकपन   पर

Sunil _Telang /26/12/2018