BHALAAI
अपनी सूरत में न कोई खोट पाई
दूसरों में बस नज़र आई बुराई
जल रहा क्यों दूसरों को देख कर तू
हर किसी ने कुछ अलग तक़दीर पाई
सबको खाली हाथ ही जाना है इक दिन
हो रही किस बात पे आखिर लड़ाई
दो घडी का चैन, पछतावा उमर भर
काम ऐसा मत करो, हो जगहँसाई
कोई पैसों से न बन पाया सिकंदर
सल्तनत ज़ुल्मो सितम की किसको भाई
काम कुछ ऐसा करें, जग मुस्कुराये
याद रखती है ये दुनिया बस भलाई
Sunil_Telang/27/10/2018
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