BHALAAI
अपनी सूरत में न कोई खोट पाई
दूसरों में बस नज़र आई बुराई
जल रहा क्यों दूसरों को देख कर तू
हर किसी ने कुछ अलग तक़दीर पाई
सबको खाली हाथ ही जाना है इक दिन
हो रही किस बात पे आखिर लड़ाई
दो घडी का चैन, पछतावा उमर भर
काम ऐसा मत करो, हो जगहँसाई
कोई पैसों से न बन पाया सिकंदर
सल्तनत ज़ुल्मो सितम की किसको भाई
काम कुछ ऐसा करें, जग मुस्कुराये
याद रखती है ये दुनिया बस भलाई
Sunil_Telang/27/10/2018
AASTHA
मन बहुत संतप्त है, कुछ भी कहा जाता नहीं
हूँ मगर मैं कविहृदय , चुप भी रहा जाता नहीं
जश्न और खुशियों के मेले आज दुखदाई बने
कट गई है उम्र सारी इक तमाशाई बने
बोझ इन आडम्बरों का अब सहा जाता नहीं
आस्था में घिर के इन्सां खो बैठा होश क्यों
है अगर इश्वर की मर्जी, दूसरों को दोष क्यों
लहू के सैलाब मैं यूँ तो बहा जाता नहीं
यूँ तो प्रगति की कितनी चढ़ गये हम सीढ़ियां
खुद में कुछ बदलाव लायें क्या कहेंगी पीढ़ियां
मौका ये समझाइश का बारहा आता नहीं
Sunil_Telang/21/10/2018
AJNABEE
कोई शिकवा गिला, मुझको नहीं इस ज़िन्दगी से
मिला जो भी मुझे, अपना लिया मैंने ख़ुशी से
सदा मिलती रहें माँ बाप की हमको दुआयें
कोई रंज़िश ना रखें, बैर ना हो अब किसी से
भलाई मैं न कर पाऊं, बुरा मुझसे नहीं होता
खफा अक्सर रहा करता हूँ अपनी बेबसी से
कोई हिन्दू हो या मुस्लिम, है वो इंसान पहले
मोहब्बत जोड़ती है आदमी को आदमी से
किसी के दिल में रह जायें, हमेशा याद बन कर
खता ऐसी ना हो जाये, मिलें हम अजनबी से
Sunil _Telang/13/10/2018