Sunday, June 25, 2017

GHURUR



GHURUR

दिन  ख़ुशी  से गुज़ार लेता हूँ 
ज़िन्दगी  यूँ   संवार  लेता  हूँ 

शायद उसके लबों पे आये हँसी 
ग़म किसी के उधार लेता हूँ 

जो मुसीबत में काम आ जाये 
उसे  दिल   में  उतार लेता  हूँ 

ठेस लग जाए ना किसी दिल को 
रोज़ रब को पुकार लेता हूँ 

जब  भी खुद  पर ग़ुरूर आता है                         
आईने  को   निहार  लेता   हूँ 

Sunil_Telang/25/06/2017






Sunday, June 18, 2017

DHAMAAL



DHAMAAL

रोज़   जीना   मुहाल  करते  हैं 
लोग फिर भी कमाल करते हैं 

मूल  मुद्दों  पे  मुंह नहीं खुलता 

दूसरों   से   सवाल   करते  हैं 

सीख देते हैं वो अमन की हमें   
जो ज़मीं खूं से  लाल  करते हैं

रोज़ी रोटी की बात कल करना 
आज तो  बस धमाल  करते हैं 

अपनी मस्ती में रोज़ मस्त रहो 
आप फिर क्यों बवाल करते हैं 

Sunil _Telang /18/06/2017