THIKAANA
ज़रूरी तो नहीं जो चाहते हों हम, वही पायें
मिले थोड़ा बहुत जो भी, उसी को हँस के अपनायें
रहेंगी ख्वाहिशें बाकी तेरी ताउम्र मरने तक
जो अपने पास है, काफी है अपने दिल को समझायें
मुसीबत में जो अपने हैं, नहीं अपने तेरे होंगे
ये दौलत, ये खजाने किस लिये भरते चले जायें
सुना है रब का होता है ठिकाना, दीन दुखियों में
मिटाकर झोपडी, ऊंचे महल क्यों लोग बनबायें
जिया औरों की खातिर जो, करेगा नाम दुनिया में
मिली है चार दिन की ज़िंदगी, मिल बाँट कर खायें
Sunil _Telang/29/03/2015

No comments:
Post a Comment