SILSILA
लुट गई दुनिया किसी की, घर किसी का
शोक मन जायेगा फिर बस दो घडी का
फिर नया इक हादसा होगा कहीं का
सिलसिला यूँ ही चलेगा ज़िन्दगी का
किसको है फुरसत यहाँ मातम मनाये
जब तलक खुद पे ना कोई बात आये
दूसरों के दुःख सभी लगते पराये
हो गया कितना पतन अब आदमी का
कब तलक हम दोष यूँ किस्मत को देंगे
लाल माँ के कब तलक खोते रहेंगे
हादसे बस रोज़ यूँ होते रहेंगे
क्या अभी तक कुछ सबक हमने ना सीखा
Sunil_Telang/03/07/2013

No comments:
Post a Comment