देश है आज़ाद
हादसों का अब असर होता नहीं है
दर्द होता है मगर होता नहीं है
इस कदर हठ से भरी बेशर्मियाँ हैं
हो के नंगा, पद कोई खोता नहीं है
शर्म और गैरत भुलाकर जी रहे हैं
अपने कर्मों पर कोई रोता नहीं है
पाक दामन कौन है जो पूछ पाये
बस वही तो कोई इकलौता नहीं है
देश है आज़ाद अपना, कुछ भी करिये
सो रहे सब, तू भी क्यों सोता नहीं है
Sunil_Telang/0106/2013

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