विश्वास
उसको धन की, और न पद की चाह कोई
लक्ष्य मुश्किल, पर नहीं परवाह कोई
चाहे कितनी आंधियां तूफ़ान आयें
रोक पायेगा न उसकी राह कोई
रोज़ मरने से भला, इक बार मरना
देश हित में ज़िन्दगी भर काम करना
लक्ष्य है अब नेक रस्ते पर चलें सब
हो ना पाये नौजवां गुमराह कोई
चल रहा वो इक नया विश्वास लेकर
अपने मन में जीत की इक आस लेकर
हार थक कर बैठना मुमकिन नहीं है
अब सुनाई दे ना मुख से आह कोई
अक्स उसमे इक विजेता का दिखा है
जीत का वर उसके माथे पर लिखा है
भ्रष्ट शासन से मिले जनता को मुक्ति
और कोई बस नहीं है चाह कोई
Sunil _Telang /14/03/2013

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