हरजाई
क्यों बने बैठे हो तमाशाई
चोट तुमने भी थी कभी खाई
आज जलता है गर किसी का घर
कल है बारी तेरी, मेरे भाई
दोष सिस्टम को कब तलक दोगे
सब ने मिल कर ये लूट करवाई
काटते देखा जो बोया अपना
आँख क्यों आज तेरी भर आई
किसकी खातिर बनाई ये दौलत
होगी इक रोज़ ये भी हरजाई
देख ले इक नज़र गरीबों को
शायद हो जाये तेरी भरपाई
Sunil_Telang/05/11/2012

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