बोलिये जी बोलिये
बोलिये जी बोलिये
आँख कान बंद रख के पहले लफ्ज़ तोलिये
अपनी पोल खुलती हो तो सब की पोल खोलिये
इस हमाम में सभी हैं नंगे देख जाइये
जो खड़ा हो कपडे पहन कर उसे सताइये
लाज शर्म भूल कर के अपने कपडे खोलिये
मुस्कुराके दीजिये जवाब सब की बात का
कह दें ये तो काम है विपक्ष की जमात का
जाके के एक बार उनके घर को भी टटोलिये
पार्टी कोई भी हो ये चक्र ना बदल सका
भ्रष्ट तंत्र में जो फंस गया न फिर संभल सका
हमने भी बहती हई गंगा में हाथ धो लिये
बोलिये जी बोलिये
Sunil_Telang/26/10/2012

No comments:
Post a Comment