Thursday, August 13, 2020

MASEEHA



MASEEHA


लोग  आते   हैं   चले  जाते   हैं 

हम फकत  हाथ  मले  जाते हैं  


वो सितमगर है  जियेगा बरसों 

कम उमर  में तो, भले  जाते हैं 


ग़मज़दा होके भी वो  हँसता है 

रश्क़  से   लोग  जले  जाते   हैं 


ना हुये  खुद  के, ना ज़माने  के 

यूँ  ही   दिन  रात  ढले  जाते  हैं 


आयेगा  कोई  मसीहा  बनकर 

लोग  हर   बार   छले   जाते  हैं 


Sunil_Telang / 11/08/2020