Sunday, April 15, 2018

CHAARAGAR



CHAARAGAR 

घुट रहा  है  दम   कहीं  ताज़ी  हवा  कोई  मिले 
ढूंढते   हैं   चारागर    हमको  दवा   कोई   मिले 

हर सुबह आती है लेकर  खौफ का मंज़र कोई

डर  यही  है फिर ना हमको हादसा कोई  मिले 

बच्चियां तो हैं खुदा की देन फिर क्यों बहशियत 
काँप   उठे   रूह  अब   ऐसी  सज़ा  कोई  मिले 

बंट  गया  इंसान  हिन्दू   मुसलमां  के  दरमियाँ 
जात  मज़हब  से  जुदा  हमको  जहां कोई मिले 

भूल कर शिकवे गिले आओ गले लग जायें  हम 
फिर अमन और चैन की इक दास्ताँ कोई  मिले 

Sunil_Telang/15/04/2018

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