CHAARAGAR
घुट रहा है दम कहीं ताज़ी हवा कोई मिले
ढूंढते हैं चारागर हमको दवा कोई मिले
हर सुबह आती है लेकर खौफ का मंज़र कोई
डर यही है फिर ना हमको हादसा कोई मिले
बच्चियां तो हैं खुदा की देन फिर क्यों बहशियत
काँप उठे रूह अब ऐसी सज़ा कोई मिले
बंट गया इंसान हिन्दू मुसलमां के दरमियाँ
जात मज़हब से जुदा हमको जहां कोई मिले
भूल कर शिकवे गिले आओ गले लग जायें हम
फिर अमन और चैन की इक दास्ताँ कोई मिले
Sunil_Telang/15/04/2018