Friday, February 27, 2015

BADLAAV


BADLAAV

हो  अगर बदलाव की ख्वाहिश तो खुद को भी बदलिये 
खोल कर  दिल  के  दरीचे  इक  नये  रस्ते  पे  चलिये 

आये  कितने  चारागर  पर  मर्ज़ ना  समझा  कोई  भी 

लुट  रही  तेरी  विरासत , सोचिये,  अब  तो  संभलिये 

क्या  नहीं   तुझको   रही पहचान  अब अच्छे  बुरे  की 

सिर्फ  चेहरा  देख कर  मत  गिरगिटी रंगों   में  ढलिये 

जल  रहा  है  ये  जहां  कब  तक   रहे  मह्फूज़  दामन  

सिर्फ  बातों  से  नहीं  कुछ  पाओगे ,घर  से  निकलिये 

Sunil_Telang/ 28/02/2015