Thursday, September 11, 2014

NAAKHUDA


NAAKHUDA

उनको  तलाश  करिये  जो  गुम शुदा  हुये  हैं
हिम्मत दें उनको जिनके अपने जुदा  हुये  हैं 
ये  वक़्त  नहीं   आपस  का  बैर  हम  भुनायें 
उनको   नमन   हमारा  जो   नाखुदा   हुये  हैं 

Sunil_Telang/11/09/2014

Friday, September 5, 2014

KARZ


क़र्ज़ 

हम तो कच्चे थे  घड़े,  हमको  दिया आकार तुमने 
जो प्रगति का ख्वाब देखा था किया साकार तुमने
क़र्ज़  कैसे  हम  चुकायें, हम तुम्हें कुछ  दे ना पाये 
अपनी  सेवा  का कभी चाहा नहीं प्रतिकार  तुमने 

तुम  बहाते   हो  धरा  पर ज्ञान  की  चहुँ ओर गंगा 
आदमी  पढ़ लिख  के भी दिखला रहा है नाच नंगा
हुस्न बालाओं  का तन  ढंकने लगा  अपना तिरंगा
देश   की  हर  दुर्दशा  का   भी  उठाया  भार  तुमने 

बन  गयी व्यापार शिक्षा , शिक्षकों का मान खोया 
नित नये  भर्ती  के  घोटालों  ने इज़्ज़त को डुबोया 
जो मिला हँस के उसी में  कर लिया अपना गुज़ारा 
वक़्त  के  निर्दय  थपेड़ों  की  भी  झेली मार तुमने 

हो  गयी   है  औपचारिकता   तुम्हें   सम्मान  देना 
है  ज़रूरी  अब  सभी  प्रतिभाओं पर भी ध्यान देना  
है असंभव जीते  जी  शिक्षक   के कर्जों को चुकाना 
दे के अमृत खुद गरल को कर लिया स्वीकार तुमने  

Sunil_Telang/05/09/2014

GAREEBI


गरीबी 

गरीबी  छुप   कहीं  जा  के, तेरा  कोई  नहीं  अपना 
तुझे   अपनायेगा   कोई ,  रहेगा   ये   सदा  सपना 

कभी  गर्मी  की  तपती दोपहर  में  है  तुझे जलना 

कभी   सर्दी   की  बर्फीली  सिहर में  है तुझे पलना 
सदा  दो  रोटियों  की आस में  जीवन  तेरा  खपना 

अमीरों   के  लिये  तू  हो  गई  पहचान  का  साधन 
तुझे दर दर भटकना है यूँ ही जब तक है काला धन 
तुझे लूटा  है अपनों  ने  दिखा  के नित नया सपना 

तेरी  चिथड़ों  में  लिपटी  ये जवानी  देखते  हैं लोग 
हिकारत से  तेरी  आँखों  में  पानी   देखते  हैं  लोग 
सियासत  के  लिये  बस  है  ज़रूरी  नाम ये जपना 

Sunil_Telang/05/09/2014




Thursday, September 4, 2014

DARD


दर्द 

दर्द को  अपनाइये, अपने हों, चाहे  हों पराये 
आदमी  तो है वही, जो दूसरों  के काम आये 
सिर्फ  अपने  वास्ते, जीते रहे तो क्या जिये
हो गये हैं गुमशुदा, यूँ  तो हज़ारों लोग आये 

Sunil_Telang/04/09/2014