Main koi kavi ya shaayar nahin hoon, Bus jo bhi apne aas paas dekhta hoon ya apne saath ghat raha hai, usko shabdon me dhaalne ki koshish karta hoon.
Thursday, September 11, 2014
Friday, September 5, 2014
KARZ
क़र्ज़
हम तो कच्चे थे घड़े, हमको दिया आकार तुमने
जो प्रगति का ख्वाब देखा था किया साकार तुमने
क़र्ज़ कैसे हम चुकायें, हम तुम्हें कुछ दे ना पाये
अपनी सेवा का कभी चाहा नहीं प्रतिकार तुमने
तुम बहाते हो धरा पर ज्ञान की चहुँ ओर गंगा
आदमी पढ़ लिख के भी दिखला रहा है नाच नंगा
हुस्न बालाओं का तन ढंकने लगा अपना तिरंगा
देश की हर दुर्दशा का भी उठाया भार तुमने
बन गयी व्यापार शिक्षा , शिक्षकों का मान खोया
नित नये भर्ती के घोटालों ने इज़्ज़त को डुबोया
जो मिला हँस के उसी में कर लिया अपना गुज़ारा
वक़्त के निर्दय थपेड़ों की भी झेली मार तुमने
हो गयी है औपचारिकता तुम्हें सम्मान देना
है ज़रूरी अब सभी प्रतिभाओं पर भी ध्यान देना
है असंभव जीते जी शिक्षक के कर्जों को चुकाना
दे के अमृत खुद गरल को कर लिया स्वीकार तुमने
Sunil_Telang/05/09/2014
GAREEBI
गरीबी
गरीबी छुप कहीं जा के, तेरा कोई नहीं अपना
तुझे अपनायेगा कोई , रहेगा ये सदा सपना
कभी गर्मी की तपती दोपहर में है तुझे जलना
कभी सर्दी की बर्फीली सिहर में है तुझे पलना
सदा दो रोटियों की आस में जीवन तेरा खपना
अमीरों के लिये तू हो गई पहचान का साधन
तुझे दर दर भटकना है यूँ ही जब तक है काला धन
तुझे लूटा है अपनों ने दिखा के नित नया सपना
तेरी चिथड़ों में लिपटी ये जवानी देखते हैं लोग
हिकारत से तेरी आँखों में पानी देखते हैं लोग
सियासत के लिये बस है ज़रूरी नाम ये जपना
Sunil_Telang/05/09/2014
Thursday, September 4, 2014
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