MUFLIS
कोई उम्मीद नहीं, ख्वाब नहीं
बेबसी का भी कुछ जवाब नहीं
कौन आयेगा पुरसिश-ए -ग़म को
तुम हो मुफ़लिस, कोई नवाब नहीं
हादसों पर मलाल क्या करना
खेल कुदरत का है, अज़ाब नहीं
और हो कोई चटपटी सी खबर
बह रहा है लहू, शराब नहीं
और बढ़ने दो कद गुनाहों का
ज़ुल्म बिन कोई कामयाब नहीं
(पुरसिश-ए -ग़म -Haal-Chaal)
Sunil _Telang/18/06/2019

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