MAATAM
कहीं है जीत का मौसम, कहीं माहौल मातम का
जश्न के शोर में फुर्सत किसे, नग़मा सुने ग़म का
किसी की छिन गई ज्योति, किसी ने लाल खोया है
तमाशा बाद में करना, अभी है वक़्त मरहम का
हज़ारों हादसे हैं इन्तेज़ारी में करे तो क्या करे इन्सां
कि अब तो सांस लेना भी हुआ है काम जोखम का
सबक सीखेंगे कब हम हादसों से कोई बतलाये
खबर पढ़ कर भुला देना बना दस्तूर आलम का
Sunil _Telang /25/05/2019

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