KHABAR
तुम हो केवल इक खबर अखबार भरने के लिये
और भी मुद्दे बहुत हैं ज़िक्र करने के लिये
तुम ग़रीबी में पले हो, है तेरी औकात क्या
जी रहे हो इस जहां में रोज़ मरने के लिये
हाल तेरा कौन पूछे, सब को बस अपनी फ़िकर
रोज़ करते हैं नये वादे मुकरने के लिये
पी रहा देखो लहू, अब आदमी का आदमी
तेरे आंसू ही दवा हैं ज़ख्म भरने के लिये
जात मज़हब में बंटा जग खो गई इंसानियत
आ गया है वक़्त अब कुछ कर गुजरने के लिये
Sunil_Telang/25/02/2018

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