ऐतबार
ज़िक्र खुशियों का बार बार करें
कुछ ग़मों से भी मगर प्यार करें
जो मिला तुझ को तेरी किस्मत है
रश्क़ क्यों दूसरों से यार करें
वक़्त तो हर घडी मुनासिब है
लोग क्यों रोज़ इन्तज़ार करें
गर ज़माने को कुछ बदलना है
अपनी आदत में भी सुधार करें
मंज़िलें भी उन्हीं को मिलती हैं
जो सदा खुद पे ऐतबार करें
Sunil_Telang/19/06/2015

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