Sunday, March 29, 2015

THIKAANA



THIKAANA

ज़रूरी   तो   नहीं   जो  चाहते   हों  हम,  वही   पायें 
मिले  थोड़ा  बहुत जो भी, उसी को हँस  के अपनायें 

रहेंगी   ख्वाहिशें   बाकी   तेरी   ताउम्र   मरने  तक 

जो अपने पास है, काफी है अपने दिल को समझायें

मुसीबत  में  जो   अपने  हैं,  नहीं  अपने  तेरे   होंगे 

ये  दौलत,  ये  खजाने  किस लिये  भरते चले जायें 

सुना  है रब  का  होता  है  ठिकाना, दीन दुखियों में 

मिटाकर  झोपडी,  ऊंचे  महल  क्यों  लोग  बनबायें

जिया  औरों  की खातिर जो, करेगा नाम दुनिया में 
मिली है चार दिन की ज़िंदगी,  मिल बाँट कर खायें 

Sunil _Telang/29/03/2015 



Wednesday, March 18, 2015

DEKHTE RAHIYE


देखते रहिये 

बहुत कुछ हो रहा है देश मेँ , लेकिन  न  कुछ  कहिये 
यही अच्छा है अब आँखों  को रखिये बंद , चुप रहिये 

मुसीबत  मेँ  अगर  हैं  अन्नदाता   तो   तुझे  क्या  है 
अभी  किरकिट  का  मौसम  है तमाशा  देखते रहिये 

चला जो  लीक  से  हट  के  वो  अपनी  जां  लुटा बैठा 
ये  रोना  दो  घडी  का  है  यूँ  जज़्बातों  में  ना बहिये 

बड़ी   उम्मीद  से   हमने  बिठाया  है  उन्हें   सर  पर  
मिलेगा  चैन  भी  शायद  अभी  कुछ  दर्द  ही  सहिये 

Sunil_Telang/18/03/2015