गरीबी
गरीबी छुप कहीं जा के, तेरा कोई नहीं अपना
तुझे अपनायेगा कोई , रहेगा ये सदा सपना
कभी गर्मी की तपती दोपहर में है तुझे जलना
कभी सर्दी की बर्फीली सिहर में है तुझे पलना
सदा दो रोटियों की आस में जीवन तेरा खपना
अमीरों के लिये तू हो गई पहचान का साधन
तुझे दर दर भटकना है यूँ ही जब तक है काला धन
तुझे लूटा है अपनों ने दिखा के नित नया सपना
तेरी चिथड़ों में लिपटी ये जवानी देखते हैं लोग
हिकारत से तेरी आँखों में पानी देखते हैं लोग
सियासत के लिये बस है ज़रूरी नाम ये जपना
Sunil_Telang/05/09/2014
No comments:
Post a Comment