किस्मत
छोड़ कर मैदान कोई चल दिया
सोचकर मुश्किल बहुत हालात है
वो कदम पीछे कभी करता नहीं
अपने अपने हौसले की बात है
घिर गया हर आदमी जंजाल में
मान बैठा, कुछ न अब हो पायेगा
बैठकर गुपचुप तमाशा देखना
बस यही उसकी रही औकात है
अब कहाँ गायब हुआ वो बांकपन
देख कर अन्याय होती थी चुभन
भूल बैठा ज़ुल्म अत्याचार को
डर का साया आज तेरे साथ है
लोग कुछ आये निकल कर सामने
तेरी खातिर, जां हथेली पर लिये
तुमको ये लगतीं हैं बस नादानियां
तुझ पे हावी बस धरम और जात है
पूछ अपने आप से इक बार तू
क्या किया अब तक वतन के वास्ते
ज़िन्दगी को कायराना मत बना
तेरी किस्मत आज तेरे हाथ है
Sunil_Telang/14/04/2014

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