संताप
जो अभी भी सोचते हैं वोट क्यों दें "आप" को
वो निमंत्रण दे रहे हैं उम्र भर संताप को
फिर उन्हें कोई ना हक होगा गिला शिकवा करें
है नियति उनकी यूँ ही घुट घुट के वो जीयें मरें
झेलते जायेंगे भ्रष्टाचार के अभिशाप को
होंगे वो बेफिक्र अपनी संपदा को देख कर
सोचते होंगे पड़ेगा उनपे ना कुछ भी असर
पर ये दीमक नष्ट कर देगा हर इक परताप को
अपनी औलादों की खातिर सोच कर देखो ज़रा
इस सुअवसर को भुना ले किसलिये तू है डरा
राजनीति को बदल दें खत्म कर दें पाप को
Sunil_Telang/16/10/2013

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