शौक
मुझको कोई शौक अनशन का नहीं है
क्या ये मुद्दा आज जन जन का नहीं है
तुम ही बतला दो नया फिर कोई रस्ता
अब ये मौका सिर्फ चिंतन का नहीं है
और क्या है पास मेरे, बस नये भारत का सपना
ज़िन्दगी भय मुक्त गुज़रे,हर कोई हक पाये अपना
दूरियां असमानता की ख़त्म हों सब हों बराबर
लूट भ्रष्टाचार से बर्बाद ना हो अब कोई घर
सीख ले तू भी ज़रा इस रेत की गर्मी में तपना
अब तपस्या, त्याग से ही लक्ष्य हम पायेंगे अपना
Sunil_Telang/04/04/2013

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