HUME SWEEKAR HAI
हमें स्वीकार है ये लूट भ्रष्टाचार भी
हमें स्वीकार है मंहगाई की ये मार भी
जुबां मत खोलना,आँखों को रखना बंद तू
हमें स्वीकार है नारी पे अत्याचार भी
अब किसलिये शिकवे गिले करते हो तुम
खुद अपनी परछाई से भी डरते हो तुम
तमाशाई बने ये उम्र गुजरी है यहां
हुये हम तो यहाँ बेज़ार भी बीमार भी
अब है तेरा कुछ मान क्या सम्मान क्या
बस वोट है तू और तेरी पहचान क्या
फिर चुन लिया उसको भला जो भी लगा
भुला बैठे हैंअपने हक़ सभी,अधिकार भी
Sunil_Telang/17/09/2019