SHIKAAYAT
शिकायत तो बहुत हैं पर जुबां पर लग गये ताले
लगा के आग बैठे हैं तमाशा देखने वाले
हवा में रोज़ उड़ते हैं ये जनता के नुमाइन्दे
समझ पाये ना उनका दर्द जिनके पाँव में छाले
किसी को फ़िक्र कुर्सी की,किसी को फ़िक्र रोटी की
ये कैसे रहनुमा आये कभी गोरे कभी काले
करिश्मा हो कोई, आयें कभी उनके भी अच्छे दिन
अभी बैठे हैं जाने लोग कितने ये भरम पाले
संभल जाओ मिलेगा क्या किसी को अंधभक्ति से
ज़हर बन जाएंगे इक दिन ये अमृत से भरे प्याले
Sunil _Telang/24/03/2018
हवा में रोज़ उड़ते हैं ये जनता के नुमाइन्दे
समझ पाये ना उनका दर्द जिनके पाँव में छाले
किसी को फ़िक्र कुर्सी की,किसी को फ़िक्र रोटी की
ये कैसे रहनुमा आये कभी गोरे कभी काले
करिश्मा हो कोई, आयें कभी उनके भी अच्छे दिन
अभी बैठे हैं जाने लोग कितने ये भरम पाले
संभल जाओ मिलेगा क्या किसी को अंधभक्ति से
ज़हर बन जाएंगे इक दिन ये अमृत से भरे प्याले
Sunil _Telang/24/03/2018